मेरी कहानी
ख्वाब हैं ऊँचे, सोच है ऊँची,
छुपा के सब से रखता हूँ मैं
गुमनाम हूँ थोड़ा, मेहमान हूँ तेरा,
ये बोल खुदा से कहता हूँ मैं
वक़त है ऐसा, बदलता है पैसा,
खुद को ज़मीन पे रखता हूँ मैं
जो रेह्ते करीब, हैं दिल के गरीब,
झूठ को सच समझता हूँ मैं
नादान हूँ थोड़ा,बचपन से जुड़ा,
वफ़ा की उम्मीद रखता हूँ मैं
खिलोनो की बस्ती, मौत है सस्ती,
प्यार नाम के खेल से डरता हूँ मैं
दुनिया का व्यापार, है जिस्म का बाजार,
इस मंज़र से रोज़ गुजरता हूँ मैं
मोहब्बत है ऐसी,काँटों के जैसी'
निगाहों की उलझन से बचता हूँ मैं
लौटा हर बार,साहिल के पार,
खुद की वीरानी सुनता हूँ मैं
वेह्शत में बहता, आरज़ू है लेकिन,
मुश्किलों को शाद से सहता हूँ मैं
धन्यवाद
गौरव सचदेवा