Poems from Gourav Sachdeva

  सुबह सुबह निकले जो घर से, सोच में दिन का हाल क्या होगा, काम भी होगा या होगा सनाटा, तलाश में ख़ुशी की खुद को रोका, वक्त संभाले न संभले...
  Uljhi uljhi rehti woh khud mein, Bahar se duniya suljhati hai woh Chori chori kare woh batain khud se,Raag mohabbat ke gaati hai woh...
ख्वाब हैं ऊँचे, सोच है ऊँची, छुपा के सब से रखता हूँ मैं गुमनाम हूँ थोड़ा, मेहमान हूँ तेरा, ये बोल खुदा से कहता हूँ मैं वक़त है ऐसा, बदलता है...